पटना
बिहार कैडर के चर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे, जिन्हें उनकी तेज़तर्रार कार्यशैली और सख़्त कानून-व्यवस्था के लिए 'सिंघम' कहा जाता है, अब पूरी तरह से राजनीति में उतर चुके हैं। उन्होंने ‘हिंद सेना’ नाम की एक नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा की है और साफ़ किया है कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। शिवदीप लांडे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने राजनीति में आने का फैसला सिर्फ़ किसी कुर्सी या पद के लिए नहीं लिया है। वे एक आंदोलन शुरू करना चाहते हैं—एक ऐसी क्रांति जो युवाओं को नयी दिशा दे, जो जातीय समीकरणों से ऊपर उठकर 'यथार्थ सामाजिक न्याय' की बात करे।
उन्होंने खुलासा किया कि जब उन्होंने आईपीएस की सेवा छोड़ी, तो उन्हें राज्यसभा सदस्यता से लेकर मुख्यमंत्री पद तक के प्रस्ताव मिले। मगर उन्होंने किसी भी पद या गठबंधन का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया क्योंकि उनका सपना कुछ अलग है—एक ‘जन आंदोलन’ खड़ा करना। लांडे ने मौजूदा राजनीतिक ढांचे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि "बिहार में सामाजिक न्याय का मतलब सिर्फ़ जातियों में बंटवारा हो गया है। असल में सामाजिक न्याय तब होगा, जब गांवों को बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की सुविधा मिलेगी।" उन्होंने कहा कि बिहार की सबसे बड़ी समस्या है—युवाओं का पलायन। यहां के नौजवान रोज़गार की तलाश में देश के दूसरे कोनों में भटक रहे हैं। उनकी पार्टी युवाओं को यहीं अवसर देने की नीति पर काम करेगी।
‘हिंद सेना’ की सोच और पहचान
लांडे की पार्टी 'हिंद सेना' का उद्देश्य है—हर वर्ग, हर समुदाय को साथ लेकर चलना। उन्होंने कहा कि हर उम्मीदवार उनकी विचारधारा को मानेगा—न कि सिर्फ़ जाति या समीकरण के आधार पर टिकट पाएगा।
अब देखना यह होगा कि ‘सिंघम’ लांडे की यह नई राजनीतिक पारी बिहार की राजनीति में कितनी हलचल मचाती है। क्या यह एक नया विकल्प बन पाएगा, या फिर भीड़ में कहीं खो जाएगी?